बीते कुछ साल महामारी के चलते काफी मुश्किलों भरे रहे। इस दौरान उन लोगों को और भी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा, जिनके पास अपना घर अपनी छत नहीं थी। ऐसे में महामारी के खत्म होने के बाद लोग अपना घर अपनी छत बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं। ऐसे में अपनी मासिक सैलरी पर यह सपना पूरा करना इतना आसान नहीं है। अगर आप भी अपने घर को बनाने का सपना देख रहे हैं और होम लोन (Home Loan) के बारे में सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके हर परेशानी को खत्म (Home Loan Easy Way) कर सकती है।
अपना घर बनाने का सपना देख रहे लोग अब बड़ी आसानी से होम लोन ले सकते हैं। दरअसल जब कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी इन प्रॉपर्टी, गोल्ड, फिक्स डिपाजिट, शेयर, म्युचुअल फंड या पीपीएफ जैसे ऐसैट्स पर लोन लेता है, तो वह एक सिक्योर्ड गारंटी लोन के लिए अप्लाई करता है। इस दौरान आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
किस स्थिति में मिल सकता है लोन
कम लोन टू वैल्यू रेश्यों आपको आसानी से लोन दिला सकता है। इस लोन का मतलब होता है कि घर खरीदने के लिए आपको कॉन्ट्रिब्यूशन ज्यादा रखना होगा। कम एलटीवी रेश्यो चुन्ने से प्रॉपर्टी में खरीददार का कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ जाता है। इससे बैंक का जोखिम कम हो जाता है और कम ईएमआई से लोन को अफॉर्डेबिलिटी बढ़ जाती है। इससे आपको लोन मिलने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं।
किस बैंक से लोन लेने में है ज्यादा फायदा
लोन लेने के बाद इस बात का खास तौर पर ख्याल रखा जाता है कि आपकी एक रेगुलर इनकम हो, लेकिन अगर आपकी रेगुलर इनकम नहीं है या क्रेडिट स्कोर भी खराब है। तो आपको इसी बैंक में लोन लेने के लिए आवेदन करना चाहिए, जहां आपका अकाउंट या फिक्स डिपॉजिट हो। अगर आपकी उसी बैंक से लोन लेने के लिए अप्लाई करते हैं, तो लोन मिलने में आसानी हो जाती है।
को-एप्लीकेंट को मिलता है ज्यादा फायदा
लोन लेने के दौरान को-एप्लीकेंट जोड़ने से कर्ज देने वाली संस्था का जोखिम कम हो जाता है। यह कोई ऐसा व्यक्ति होता है, जिनकी स्थाई इनकम होती है और उनका क्रेडिट स्कोर भी अच्छा होता है। लोन की रकम तब तक नहीं बढ़ेगी, जब तक इसमें अच्छी कमाई वाले को-एप्लीकेंट को नहीं जोड़ते हैं। को-एप्लीकेंट को जोड़ने से लोन आसानी से अप्रूव हो जाता है और उसके मिलने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं।
लोन की रकम है खास महत्वपूर्ण
जब भी हम किसी बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो सबसे पहले बैंक फिक्स ऑब्लिगेशन टू इनकम रेश्यो चेक करता है। इससे यह पता चलता है कि आप हर महीने लोन की कितनी रकम चुका सकते हैं। इसके जरिए आपकी पहले से जा रही है इएमआई, घर का किराया, बीमा पॉलिसी और अन्य भुगतान मौजूदा समय में कितने फ़ीसदी है, यह सब चेक किया जाता है। लोन दाता को आपके यह सभी खर्च आपकी सैलरी के 50% तक लगते हैं, तो वह आपकी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट कर सकते हैं। इसलिए यह ध्यान रखें कि लोन की रकम आपके इस प्रतिशत आंकड़े से कम हो।