IAS Deepak Rawat Success Story: यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा में हर साल लाखों की तादाद में अभ्यार्थी बैठते हैं, लेकिन कुछ अभ्यर्थियों का सपना ही साकार होता है। ऐसे में यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) पास कर आईएएस-आईपीएस बनने वाले इन अधिकारियों में कुछ ऐसे नाम भी होते हैं, जिनकी कामयाबी की कहानी लाखों-करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है। इस लिस्ट में एक नाम आईएएस अधिकारी दीपक रावत का भी है, जिन्हें दबंग अधिकारी के तौर पर जाना जाता है।
कौन है आईएएस दीपक रावत
दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर 1977 को उत्तराखंड के मसूरी स्थित बरलोगंज में हुआ था। इस दौरान उन्होंने अपने शुरुआती पढ़ाई उत्तराखंड के ही सेंट जॉर्ज कॉलेज मसूरी से पूरी की थी। इसके बाद में आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज गए, जहां से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। इसके बाद दीपक रावत ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमफील की पढ़ाई के लिए भी उनका चयन हो चुका है। परीक्षा पास करने के बाद उन्हें ₹8000 प्रति महीना मिलते थे।
कहां से मिली आईएएस बनने की प्रेरणा
इस दौरान दीपक की मुलाकात कुछ ऐसे छात्रों से हुई जो बिहार से थे और दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने के लिए आए थे। छात्रों से मिलने के बाद दीपक ने भी सिविल सर्विस में जाने का फैसला किया और तैयारी शुरू कर दी। हालांकि इस दौरान उन्हें दो बार हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के दम पर तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास की। इसके बाद उनका चयन आईआरएस अधिकारी के तौर पर हुआ, लेकिन वह आईएएस बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने दुबारा परीक्षा देने का फैसला किया और कड़ी मेहनत करके दोबारा परीक्षा भी थी।
12वीं रैंक की हासिल
इस साल 2007 में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करते हुए ऑल इंडिया में 12 वीं रैंक हासिल की। अपनी इस कामयाबी के बाद उत्तराखंड कैडर में बतौर आईएएस अधिकारी नियुक्त हुए दीपक रावत ने अपने इंटरव्यू के दौरान बताया था कि जब वह 11वीं 12वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब ज्यादा छात्र इंजीनियरिंग या डिफेंस की तैयारी करते थे। इस उम्र में उनके दिमाग में सिर्फ खाली टूथपेस्ट, ट्यूब, खाली डिब्बे जैसी कुछ आकृतियों को लेकर हमेशा दिलचस्पी उमड़ती थी।
कभी बनना चाहते थे कबाड़ीवाला
दीपक रावत ने बताया कि अक्सर लोग उनसे सवाल पूछते हैं कि अगर वह सिविल सेवा में नहीं आते, तो वह किस कैरियर को चुनते…? इसके जवाब में अक्सर वह एक ही बात कहते हैं कि- कबाड़ीवाला… दीपक रावत कहते थे कि इस उम्र में उन्हें लगता था कि कबाड़ी वाला बनने के बाद उन्हें अलग-अलग चीजों को एक्सप्रोल करने का मौका मिलेगा।
लाखों में है सोशल मीडिया पर फोलोअर
दीपक रावत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। फेसबुक से लेकर ट्वीटर तक उनकी फैन फॉलोइंग काफी लंबी चौड़ी है। बात उनके यूट्यूब चैनल की करें तो बता दें उस पर भी 4.36 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर है। दीपक रावत ने अपनी इस कामयाबी के सफर में ना सिर्फ संघर्ष किया, बल्कि अपनी मेहनत के दम पर वह हासिल किया, जो वह करना चाहते थे।