90 के दशक से लेकर अब तक के बच्चों ने एक नाम जरूर सुना या पढ़ा होगा… ये नाम है आर डी शर्मा (RD Sharma) का… जिन्हें बच्चे गणित का भगवान कहते हैं। मैथमेटिशन आरडी शर्मा (Mathematician RD Sharma) की लिखी गणित की किताबें बच्चों को उनके बिगड़े गणित को संभालने में खासा मदद करती है। खास तौर पर यह भी कहा जाता है कि जिन बच्चों का गणित से 36 का आंकड़ा होता है उनके लिए आर डी शर्मा एक भगवान (God Of Math RD Sharma) ही है।
कौन है गणित के भगवान आरडी शर्मा
गणित के भगवान के नाम से मशहूर आर डी शर्मा को लोग इसी नाम से जानते हैं। ऐसे में कई बार लोग उनके बारे में तलाशते हैं, लेकिन उन्हें ज्यादा कुछ नहीं मिलता। ऐसे में आइए हम आपको आर डी शर्मा की जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में बताते हैं।
आर डी शर्मा का पूरा नाम कई बार लोगों के लिए कई अलग अलग तरह की परेशानी बनता नजर आया है। दरअसल ऐसा इसलिए क्योकि कई लोग उन्हें राम दास शर्मा के नाम से जानते है, हालांकि उनका पूरा नाम रवि दत्त शर्मा है। आर डी शर्मा का जन्म राजस्थान के बहरोड़ तहसील के एक छोटे से गांव भूपखेड़ा में हुआ था। उनके पिता एक मामूली किसान थे ऐसे में परिवार का गुजर-बसर बेहद मुश्किल से होता था।
15 किलोमीटर चलकर जाते थे स्कूल
आर डी शर्मा का नाम बीते 31 सालों से बोर्ड की प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों की पहली पसंद रहा है। अक्सर यह देखा गया है कि परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र गणित के सूत्र धार के तौर पर आर डी शर्मा द्वारा लिखित किताबों को ही चयन करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आर डी शर्मा के लिए कामयाबी का यह सफर जरा भी आसान नहीं था। वह 15 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पढ़ने जाते थे। वह तब तक इसी तरह स्कूल जाते रहे जब तक उनके पिता ने पैसा जमा करके उनके लिए साइकिल नहीं खरीद ली।
पिता है कामयाबी के सूत्रधार
आर डी शर्मा का कहना है कि आज अगर उनका नाम गणित के उच्च कोटि के जानकारों में लिया जाता है, तो उसका श्रेय उनके पिताजी को जाता है। उनके पिता कभी स्कूल नहीं गए थे लेकिन उन्होंने अपने बेटे के मन में पढ़ाई को लेकर कठिन परिश्रम का एक गणित ऐसा बिठा दिया था, जिसके चलते उनके जहन में गणित को लेकर एक अलग ही दिलचस्पी जाग गई थी।
आर डी शर्मा जब अपने पिता के साथ उनकी चारपाई पर सोते थे तब उन्हें तब तक सोने की इजाजत नहीं मिलती थी, जब तक वह 40 तक पहाड़े नहीं सुना देते थे। इसी आदत के चलते 9 साल की उम्र में ही उन्होंने 40 तक पहाड़े सीख लिए थे। इतना ही नहीं वह 20 तक की संख्याओं के वर्गमूल और घनमूल भी इसी उम्र में याद कर चुके थे। आर डी शर्मा हमेशा अपनी कक्षा में टॉप किया करते थे।
उधार लेकर पिता ने दी थी फीस
आरडी शर्मा दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में रहते थे। आरडी शर्मा बताते हैं कि उन्हें आज भी वह पल याद है, जब उनके पिता ने उनकी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए पैसे उधार लिए थे। अपने छात्र जीवन में उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनके लिए वह क्षण बहुत मुश्किलों भरा था जब पिता ने कर्ज लेकर उनकी फीस दी थी। उनका कहना है कि वह अपने पिता के बलिदानों का मूल्य कभी नहीं चुका सकते।
आर डी शर्मा की किताबें देश भर के तमाम छात्रों की पहली पसंद का हिस्सा है। मालूम हो कि आर डी शर्मा ने किताबें लिखने के अलावा कई अलग-अलग संस्थाओं, कॉलेज, यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफेसर भी काम किया है। मौजूदा समय में वह दिल्ली के आर्यभट्ट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बतौर साइंस प्रिंसिपल के पद पर तैनात है।