बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लाया गया, जिसके तहत राज्य में शराब पीने और उसकी खरीद बिक्री पर पाबंदी लगा दी गयी। लेकिन कानून के लागू हो जाने के बाद भी बिहार में शराब का कारोबार बंद नहीं हुआ। लोग चोरी- छिपे शराब पीने लगे। अब समस्या यह होने लगी कि शराब की गुणवत्ता में कमी और अच्छी शराब न रहने की वजह से राज्य में कई लोगों की शराब पीने से मौत की खबरें आने लगी और इन मौतों पर राजनीति भी शुरू हो गयी।
शराब के विकल्प में नीरा ला रही है सरकार
बिहार सरकार ने राज्य में जहरीली शराब से हो रही मौत पर काबू पाने के लिए नीरा का बढ़ावा देने का फैसला किया है। सरकार ने राज्य के सभी जिलों में नीरा के बिक्री केंद्र बनाने की घोषणा की है। सरकार की इस पहल के तहत राज्य की राजधानी पटना में भी नीरा बिक्री केंद्र बनाए जाएंगे। जानकारी के मुताबिक पटना में नीरा बिक्री के 51 सेंटर बनाये गए हैं, जहाँ अप्रैल के प्रथम सप्ताह से बिक्री शुरू की जाएगी। पटना के डीएम डॉ चंद्रशेखर सिंह ने नीरा की बिक्री और उत्पादन को लेकर समीक्षा बैठक भी की और इस संदर्भ में कई फैसले लिये।
नीरा की गुणवत्ता रखा जाएगा ध्यान
सरकार ने जीविका के डीपीएम को निर्देश दिया है कि वे आम लोगों के बीच जाकर उन्हें नीरा के फायदे के बारे में बताएं । लोगों में जागरूकता लाने के लिए सभी नीरा सेंटर पर फ्लेक्स भी लगाने का निर्देश दिया गया है। सभी सेंटर पर औसतन 40-50 लीटर प्रतिदिन नीरा बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। सरकार शराबबंदी को लेकर पूरी तरह से सख्त है। शराबबंदी कानून का पूरी तरह से पालन हो, इसके लिए प्रशासन द्वारा कार्रवाई तेज ककर दी गयी है। पिछले जनवरी से मार्च तक पटना प्रशासन ने 918 वाहनों की नीलामी से करीब 54 करोड़ रूपये वसूले। इस दौरान कुल 657 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।