बिहार (Bihar) के पूर्णिया जिले में एक टीचर ने बच्चों को पढ़ाने का ऐसा अनोखा तरीका आजमाया है कि बच्चों में शिक्षा को लेकर उत्साह की एक अलग ही अलख जग गई है। इतना ही नहीं बच्चे खुद पढ़ने में मन लगा रहे हैं। ऐसे में उनके माता-पिता को बिहार के इन टीचर साहब (Bihar School Teacher Satish Kumar) का यह तरीका काफी पसंद आ रहा है।
एक शिक्षक शब्द की परिभाषा शब्दों के दायरे में सीमित नहीं की जा सकती। शिक्षक को लेकर कहा जाता है कि यह शब्द एकवचन हो सकता है, लेकिन काम यह बहुवचन के करता है। एक अध्यापक एक बच्चे को सिर्फ शिक्षा ही नहीं बल्कि शब्दों का दायरा, ज्ञान का भंडार, शिक्षा की योग्यता, शब्दों की परिभाषा और सीखने की अभिलाषा जैसे कई अलग-अलग गुण सिखाता है। ऐसे में इन दिनों बिहार के एक शिक्षक के चर्चा हर जगह हो रही है, जिन्होंने बच्चों के भविष्य को संवारने का एक ऐसा अनोखा तरीका आजमाया है, जिसने सभी को खुश कर दिया है।
कौन है पूर्णिया के टीचर सतीश कुमार
बिहार के पूर्णिया के इन शिक्षक साहब का नाम सतीश कुमार है। बसंत पंचायत में स्थित शाला के प्राथमिक विद्यालय सुगनी टोला में वह बतौर शिक्षक पढ़ाते हैं। बच्चों को पढ़ाने का उनका तरीका इतना अनोखा है कि उनकी क्लास में हर दिन बच्चों की भीड़ लगी रहती है।
दरअसल सतीश कुमार हिंदी वर्णमाला के अक्षरों को कविता के माध्यम से सिखाते हैं। ऐसे में बच्चों को न सिर्फ यह तरीका पसंद आता है, बल्कि काफी लुभाता भी है। उदाहरण के तौर पर त से तरबूज काट रहे थे, ध से धमकी दे रहे थे… द से दरी बिछा रहे थे.. ध से धक्का लगा रहे थे… ढ से ढक्कन लगा रहे थे… ऐसे शब्दों की कविताओं के साथ चेहरे के हाव-भाव और नाच के साथ में बच्चों को अनोखी ही तरीके से पढ़ाते हैं।
हर दिन बच्चों से भर जाती है पूरी क्लास
सतीश कुमार के इस अनोखे अंदाज़ का ही नतीजा है कि बच्चे काफी उत्साहित होकर पढ़ते हैं। सतीश कुमार की कक्षा को लेकर कहा जाता है कि जिसमें कभी 40से 50 बच्चे ही बड़ी मुश्किल से आते थे, आज उसमें 160 बच्चे आते हैं। उन्हें पढ़ाने का तरीका ही बच्चों को उनकी और खींच कर लाता है और शिक्षा का अलख जगाता है। सतीश कुमार का कहना है कि बच्चों को पढ़ाना, उनके शिक्षा के जज्बे को जगाना..ही एक गुरु का सच्चा धर्म और कर्तव्य है।