फिल्म केजीएफ का फितूर लोगों के सर पहले से ही चढ़ा हुआ है। वहीं अब एक नाम सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है… और यह नाम है बिहार का KGF… जिसके साथ यह दावा किया जा रहा है कि बिहार को केजीएफ मिल गया है। केजीएफ नाम आते ही सबसे पहले आपको इसकी फिल्म याद आ जाएगी, लेकिन हम जिस KGF की बात कर रहे हैं यह बिहार के माओवादी जिला जमुई में दबी एक सोने के अकूत भंडार की खदान है, जिसे किसी इंसान ने नहीं बल्कि चिटियों ने खोज निकाला है। क्या है यह पूरा मामला… आइए हम आपको बताते हैं।
बिहार का KGF क्या है
दरअसल बिहार के जमुई जिले में सोने की इतनी बड़ी खदान मिली है, जिसे लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यह अब तक के पूरे देश के सोने के भंडार का 44% है। लाल मिट्टी के नीचे यहां इतना सोना दबा है, जिसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। यह सोने का भंडार इस समय खासा चर्चा में बना हुआ है। सरकार से लेकर आम जनता के बीच यह बिहार का केजीएफ खासा ट्रेंड कर रहा है।
बिहार में मिली सोने की खादान
दूसरी ओर बिहार सरकार ने देश की सबसे बड़ी सोने की खदान के खनन की परमिशन देने का भी फैसला कर लिया है। इससे जुड़ी जानकारी साझा करते हुए राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 28 मई को बताया कि सरकार इस सोने की खदान के खनन की अनुमति देने का फैसला करेगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने बिहार के जमुई जिले में करीबन 23 करोड टन सोने का सर्वेक्षण किया है। साथ ही उन्होंने सोने के साथ-साथ करीब 37.6 टन खनिज की भी सूचना दी है।
चिटियों ने ढूंढा बिहार की सोने की खादान
अपने इस फैसले के मद्देनजर नीतीश सरकार ने हाल ही में जमुई जिले के उस इलाके में सोने की खोज करने देने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे पर राज्य एवं केंद्र दोनों सरकारों के बीच बातचीत भी चल रही है। बिहार के क्षेत्र में सोने के भंडार को खोजने को कहा जा रहा है कि खोजबीन का यह सर्वेक्षण करीबन 40 साल तक चल सकता है। ऐसे में यह संभव चिटियों की वजह से हुआ है।
दरअसल इस इलाके में ऐसी किंदवंती है कि 40 साल पहले इस क्षेत्र में एक विशाल बरगद का पेड़ हुआ करता था। सूरज की गर्मी और गर्मी की तपन से बचने के लिए चीटियां बरगद के पेड़ के नीचे घोसला बनाकर रहती थी। कहा जाता है कि जब चीटियों ने मिट्टी के नीचे से उठना शुरू किया, तो स्थानीय लोगों ने मिट्टी में पीली धातु के छोटे-छोटे कण देखे और तभी से इस इलाके में सोने की खबर फैल गई और खोज की शुरुआत हुई।
हालांकि जमुई के कई गांव के लोग इसे लेकर यह बात भी कहते हैं कि आज के समय में से लगभग 15 साल पहले कोलकाता से भी एक टीम इस मामले में जांच पड़ताल के लिए आई थी, जिसने करमटिया में सोना होने की बात कही थी। इसके बाद में कई जांच और सर्वेक्षण एजेंसियों ने जांच पड़ताल की और इस मामले का खुलासा हुआ।