कारगिल की पहाड़ियों में पाकिस्तान के घुसपैठियों को चुन चुन कर मारने वाले शहीद मेजर सलमान खान को कश्मीर से वादियों से काफी मोहब्बत हो गई थी।जब तक उन्होंने ड्यूटी किया अपनी पूरे दिल से इस कश्मीर की हिफाजत करते रहे।उनके इसी देशभक्ति को लेकर आतंकी उन्हें शिकारी के नाम से बुलाने लगे थे।इनके डर से आतंकवादी थरथर काँपा करते थे।
5 मई 2015 को एक सूचना पर वे अपने जांबाज सैनिकों के साथ कुपवाड़ा में स्थित एक घर में छिपे लश्कर कमांडो को घेर लिया था जब इन दहशतगर्दी को सरेंडर करने के लिए कहा गया तो वेलोग फायरिंग शुरू कर दी।इस समय मेजर सलमान खान खुद आगे आकर तीन आतंकवादियों का काम तमाम कर दिया परंतु इस लड़ाई में एक आतंकवादी ने धोखे से आकर उन पर गोली चला दी।3 गोली लगने के बावजूद भी वह पीछे नहीं हटे और सभी आतंकवादियों को ढेर कर खुद इस देश के लिए शहीद हो गए।
शुरुआत की जीवन ऐसा रहा
शहीद मेजर सलमान खान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के मिस्सी गांव के रहने वाले थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई सैनिक स्कूल लखनऊ से ली है।उन्होंने पहले प्रयास में ही सफल हुए थे और 3 साल के ट्रेनिंग के बाद उनका आई एम में हुआ था। वहां से मेजर सलमान खान की पहली पोस्टिंग उधमपुर में हुई थी तभी कारगिल युद्ध लड़ा गया था।मेजर सलमान खान अपनी अपनी आर्मी यूनिट के साथ पहाड़ियों में इस युद्ध मे भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी।
शहीद मेजर के बड़े भाई इकरार अहमद खान बताते हैं कि कारगिल के दौरान उन्हें दूसरे शहर में जाने का मौका मिला था लेकिन उन्होंने तय किया कि जब तक जन्नत को आतंकवादियों से मुक्त नहीं करा लूं तब तक मैं कश्मीर मे ही रहूंगा.उनके भाई बताते हैं कि सलमान खान अपने 6 साल के कैरियर में कई बड़े मिशनो में भाग लिए थे।
आतंकियों को जब ठिकाने लगाकर सलमान खान अपने कैंप आते थे तो वह मुझे फोन कर बताते थे कि भाई जान आज मैंने इतने आतंकवादियों का काम तमाम कर दिया। मैं भी कहा करता था कि और दुगुना आतंकवादियों को आप को मारना था ना।इनके भाई इकरार खान बताते हैं कि सलमान खान अभी तक 100 से ज्यादा खूंखार आतंकवादियों का मौत के घाट उतारे थे इसी वजह से लोग आतंकवादी इन्हें शिकारी कहा करते थे।
ऐसे हो गए शटहीद
इनके भाई इकरार खान ने फक्र करते हुए बताया कि कुपवाड़ा में लश्कर के कमांडर अबू मान को मारने के लिए जब टास्क फोर्स का गठन किया गया तब सलमान खान को भी इसमें शामिल किया गया। उन्होंने करीब 1 महीने तक अभिमान के मूवमेंट पर नजर रखी और सटीक सूचना मिलने पर अपनी टुकड़ी के साथ 5 मई 2005 में एक घर में मौजूद लश्कर के कमांडर को घेर लिया।
इस घर में लश्कर के कमांडर सहित चार अन्य आतंकवादी भी छिपा छिपे थे।सलमान खान ने इन चारों आतंकवादियों को सेल्डर करने के लिए बोला पर उसने फायरिंग शुरू कर दी। करीब 2 घंटे तक चली मुठभेड़ में आतंकीमारे गए परंतु एक आतंकवादी ने धोखे से सलमान खान पर हमला कर दिया और तीन गोलियां लगने के बावजूद सलमान खान ने उस आतंकवादी का भी काम तमाम कर दिया। दो दिन तक अस्पताल मे लड़ने के बाद में इनकी 7 मई 2005 को यह शहीद हो गए।
सलमान खान ने देश के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी।इस्लाम हमेशा वफादारी की सीख देता है। उसने अपने मजहब और मुल्क दोनों के साथ वफादारी निभाई है।सलमान खान के भाई ने बताया कि हमने सलमान खान को कानपुर में दफनाने के बजाय अपने पेत्रिक गांव में ही दफनाया क्योंकि हम चाहते थे कि मेरे भाई के इस तरह से देश के प्रति समर्पण से गांव के लोग कुछ सीख ले। उन्होंने बताया कि आज हमारे गांव में 25 से भी ज्यादा युवा फौज में देश की सेवा कर रहे हैं।