हाल के दिनों में देश में निजीकरण को लेकर सरकार (Government) ने अपना रवैया बदला है। सरकार का ध्यान निजीकरण को लेकर काफी बढ़ा है। अब जल्द ही पब्लिक सेक्टर की दो बैंकों का प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization By Government) सरकार करने जा रही है। कई कंपनियों ने बोलियां भी लगाना शुरू कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक इस वर्ष के सितंबर तक प्राइवेटाइजेशन (Bank Privatization) शुरू हो सकता है। सरकारी कर्मचारी लगातार निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे हैं।
जल्द सील हो सकते हैं ये दो बैंक
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो सरकार के दो अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी दी कि इन बड़े चेंजिंग की तैयारी लगभग लगभग पूरी हो गई है। इसमें मानसून सत्र तक संशोधन होने की उम्मीद है। सूत्र ने बताया कि सरकार का टारगेट सितंबर तक कम से कम एक बैंक को प्राइवेटाइजेशन कर देना है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके सरकार विदेशी मालिकाना हक पर 20 प्रतिशत की क्राइटेरिया हटाने के मूड में है। सरकार ने दो गवर्नमेंट बैंक को इसके लिए शॉर्टलिस्ट किया है। पब्लिक सेक्टर के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन करने के लिए सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है। कहा जा रहा है कि जल्द ही इस को पूरा किया जाएगा। विधायी प्रक्रिया पूरा होने के पश्चात विनिवेश पर मंत्रियों का समूह प्राइवेटाइजेशन के लिए बैंकों का नाम का अंतिम स्वरूप देगा।
बता दें कि मौजूदा वित्त वर्ष के बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आईडीबीआई बैंक के साथ पब्लिक सेक्टर की दो बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही निजीकरण के लिए नीति आयोग ने दो पीएसयू बैंकों को भी नाम तय कर लिया है। निजीकरण को लगातार विरोध झेलना पड़ रहा है बावजूद इसके सरकार ने अपने रवैया में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया। वित्त मंत्री ने यह घोषणा किया था कि मौजूदा वित्त वर्ष में एक इंश्योरेंस कंपनी की बिक्री होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का प्राइवेटाइजेशन हो सकता है।