अंटार्कटिका की सफेद बर्फ अब हरे रंग में बदल रही है। अंटार्कटिका के सफेद रंग को हरे रंग में तब्दील होने से वैज्ञानिक भी हैरान है।इस तरह के अजीबोगरीब प्राकृतिक बदलाव किसी के समझ में नहीं आ रहा है।ऐसा क्यों हो रहा है यह किसी के समझ में बिल्कुल भी नहीं आ रहा है।ऐसा क्लाइमेट चेंज की वजह से हो रहा है या इसके कोई और कारण है,अभी तक कोई बात पता नहीं चली है।
सफेद बर्फ अब बदल रही है हरे रंग
अंटार्कटिका की सफेद बर्फ अब हरे रंग में बदल रही:कुछ वैज्ञानिक ने इसके पीछे वहां रहने वाले पेंग्विंस को भी बताया है।पहले जब अंटार्टिका की तस्वीर आती थी तो यहां बर्फ के कारण पूरा सफेद ही दिखाई देता था लेकिन अब इसमें हरे रंग का मिश्रण देखने को मिलता है। यह हरा रंग ज्यादातर अंटार्कटिका के तटीय इलाकों में देखा जा रहा है।हो सकता है कुछ सालों के बाद क्या हरा रंग पूरे अंटार्टिका में ही देखने को मिले।
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यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेंटिनल-2 सेटेलाइट पिछले 2 साल से अंटार्कटिका की तस्वीर लेते आ रहा है। इन्हें जांचने के बाद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने पहली बार पूरे अंटार्टिका में फैल रहे इस हरे रंग का मैप तैयार किया हैवैज्ञानिकों को पूरे अंटार्टिका में 1679 अलग-अलग जगहों पर इस हरे रंग के फैले होने का प्रमाण मिला है।
समुद्री एलगी (काई) भी वजह माना जा रहा
वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया है कि अंटार्कटिका के बर्फ का हरे रंग में बदलने का कारण एक समुद्री एलगी (काई) है। जिसकी वजह से कई जगहों पर यह हरे रंग दिखाई पड़ रहा है।शोधकर्ता ने बताया कि यह अलगी यानी कि काई अंटार्कटिका के तटिए इलाके में काफी ज्यादा देखने के मिलते हैं।इन्हीं के कारण ही अंटार्कटिका के वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड प्राप्त कर रहा है।
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वही एक अन्य रिपोर्ट द्वारा बताया गया कि हमें अंटार्टिका के अलग-अलग हिस्सों में नारंगी और लाल रंग मिले हैं और हम इसका अध्ययन करने वाले हैं।इनके द्वारा बताया गया कि अंटार्कटिका की पेंग्विंस की कॉलोनी में सात किमी में हरे रंग की देखने को मिली है।वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पेंग्विंस और अन्य जीव के मल मूत्र की वजह से विकसित हुई है।
क्लाइमेट चेंज वजह माना जा रहा
बताया गया कि पेंग्विंस को इस बारे के दोष नहीं दिया जा सकता है क्यूकी पेंग्विंस हर जगह पर मौजूद नहीं है।अगर यह चेंज क्लाइमेट की वजह से हो रहा है तो जल्दी ही अंटार्कटिका सफेद से हरे रंग में बदल जाएगा क्योंकि अलगी यानी कि काई को पनपने के लिए जीरो डिग्री से ऊपर का तापमान चाहिए। यानी कि अंटार्कटिका पर सामान्य से ज्यादा तापमान है।