कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कामयाबी का सफर इतना भी लंबा नहीं होता… यह बात मजदूरी करने वाले गोपीनाथ और सब्जी बेचने वाली मां के एक बेटे (Success Sorry of Sharan Kamble) ने साबित कर दिखाई है। इनका नाम शरण कांबले है, जिन्होंने लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी में आठवां स्थान (Sharan Kamble Got 8th Rank In UPSC) हासिल किया है। मजदूर के बेटे की इस कामयाबी पर गांव के लोग इस कदर खुश हुए कि उन्होंने उसे कंधे पर बैठाकर पूरे गांव में उसका जुलूस निकाला। इस दौरान बधाई देने वालों का तांता काफी लंबे समय तक लगा रहा।
शरण कांबले ने UPSC में हासिल की 8वीं रैक
ये कहानी यूपीएससी में आठवां स्थान हासिल करने वाले शरण कांबले की है, जिन्होंने अपनी मेहनत से लाखों-करोड़ों बच्चों के लिए एक मिसाल खड़ी की है। शरण कांबले ने यूपीएससी की परीक्षा में सिर्फ प्रथम श्रेणी से पास ही नहीं किया, बल्कि पूरे देश में उन्होंने आठवां स्थान ही हासिल किया है। उनकी इस कामयाबी पर सिर्फ उनका परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे गांव वाले भी खुश हैं। दरअसल जैसे ही शरण कांबले की इस कामयाबी का पता गांव वालों को चला तो उन्होंने बारशी तहसील में जुलूस निकाला और पूरे रास्ते शरण कांबले को अपने कंधे पर बैठाएं रखा।
शरण कांबले का अपनी इस कामयाबी को लेकर कहना है कि इसका श्रेय उनके माता-पिता को जाता है। उनकी पढ़ाई ना रुके इसलिए उनकी मां भी सब्जियां बेचती थी। पिता खेत में मजदूरी करते थे। बेहद मुश्किल से परिवार का गुजर-बसर चलता था। शरण कांबले का कहना है मेरे माता पिता ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत और संकल्प किए थे। उन्होंने बताया कि परिवार की ऐसी स्थिति में जब बड़े भाई ने बीटेक किया तो परिवार की कुछ आर्थिक स्थिति सुधरी। इसके बाद उन्हें प्रतियोगी परीक्षा के लिए दिल्ली भेजा गया, जहां उन्होंने कड़ी मेहनत की।
शरण की सफलता पर उनकी मां सुदामती कांबले और उनके पिता गोपीनाथ कांबले बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि मेरा बेटा कहां तक पढ़ा और उसने क्या-क्या पढ़ा है… यह मुझे नहीं पता, लेकिन मैं यह जरूर जानता हूं कि वह मास्टर बन गया है। उनका कहना है कि मैं बस इतना जानते हैं कि शिक्षा के माध्यम से उनके बेटे ने उनके सपने को हकीकत में बदल दिखाया है।